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कलम

  • Writer: Kriti Bordia
    Kriti Bordia
  • May 20, 2020
  • 1 min read

मरते हैं हम

अमर है कलम,


मुर्दा हैं हम

ज़िंदा है कलम,


झूठे हैं हम

सच्ची है कलम,


आधे हैं हम

पूरी है कलम,


ज़ख्मी हैं हम

मरहम है कलम,


रोते हैं हम

बहती है कलम,


क़सूरवार हैं हम

निर्दोष है कलम,

फना हैं हम

इनसाफ है कलम,


सोच हैं हम

जज़्बात है कलम,


अल्फ़ाज़ हैं हम

नग़्मा है कलम,


काग़ज़ हैं हम

स्याही है कलम,


नक़ाब हैं हम

शीशा है कलम,


कांटा हैं हम

फूल है कलम,


कतरा हैं हम

सागर है कलम,

कैद हैं हम

आज़ाद है कलम ।।

आशिक़

यकी़ं सिर्फ़ ज्ञान और फ़लसफ़े में मुझ को किया इश्क़-ए-मजाज़ी से तुने आशना मुझ को बे-मुद्दआ होना था या खु़दा मुझ को किया इहया उससे...

 
 
 

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