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आशिक़

  • Writer: Kriti Bordia
    Kriti Bordia
  • Nov 24, 2022
  • 1 min read

Updated: Mar 14, 2023

यकी़ं सिर्फ़ ज्ञान और फ़लसफ़े में मुझ को

किया इश्क़-ए-मजाज़ी से तुने आशना मुझ को


बे-मुद्दआ होना था या खु़दा मुझ को

किया इहया उससे एहसास-ए-तअल्लुक़ ने मुझ को


रखा बे-तुकी ने तफ़क्कुर में गिरफ़्त मुझ को

ज़िक्र ने उसके इक-बारगी अदा की हसरतें मुझ को


संग-ए-मरमर भी तुझसे गिरवीदा है

की तुझ तक मंज़िल में कई हाईल हैं मुझ को


अहल-ए-फ़न की रफ़ाक़त में ख़ुशी मुझ को

इनायत उसकी ख़िरद-मंद आशिक़ मिला मुझ को

ख़्वाब

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