ख़्वाब
- Kriti Bordia

- Jul 16, 2021
- 1 min read
Updated: Mar 14, 2023
ख़्वाब में जो आया वो
तो सुकून भरी नींद थी,
आँख खुली जो हसीन सुबह
तो तकलीफ़ भरी ख़्वाहिश थी ॥
ऐसा ख़्वाब ना दिखाया कर
तु, ऐ खुदा मेरे...
सोई हुई जो आर्ज़ू जगी
तो बेचैन भरी धड़कन थी,
आवाज़ उसकी जो सुनी तो
निकली बेबसी भरी चीख थी ॥
ऐसा ख़्वाब ना दिखाया कर
तु, ऐ खुदा मेरे…
याद आये जो लम्हे वो
तो पतझड़ में बारिश थी,
हसीन साथ जो था वो
फ़िर गहरे घाव पर सिर्फ़ मिट्टी थी ॥
ऐसा ख़्वाब ना दिखाया कर
तु, ऐ खुदा मेरे…



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